Sunday, October 1, 2017

"कार्तिक-मास में सभी के लिए अनिवार्य है *_"दीप-दान"_*

*"कार्तिक-मास में सभी के लिए अनिवार्य है*
*_"दीप-दान"_*
कार्तिक-मास


_कार्तिक का महीना, बारह महीनों में से श्रेष्ठ है। यह महीना *भगवान श्रीकृष्ण* को अति प्रिय है।_
_इस महीने में किया गया थोड़ा सा भजन भी बहुत ज्यादा फल देता है।_
श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के भक्त इस महीने में *अष्ट-याम कीर्तन* का पाठ करते हैं, जिसका वर्णन भजन रहस्य नामक ग्रन्थ में है।
प्रातःस्मरणीय गुरुदेव, *श्रील GOPAL KRISHNA गोस्वामी महाराज जी* कहते हैं कि हर किसी को इस कार्तिक व्रत अनुष्ठान में भाग लेना चाहिये।
इस महीने में निम्नलिखित नियम पालन करने की चेष्टा करनी चाहिये -
*दामोदर-अष्टकम् भी गाना चाहिये (अर्थ चिन्तन के साथ)।*
श्रेष्ठ वैष्णवों से श्रीमद् भागवतम् सुननी चाहिये - विशेषकर के *गजेन्द्र-मोक्ष प्रसंग* जो कि श्रीमद् भागवतम् के आठवें स्कन्ध में दिया है।
4- अगर सुनने न जाया जा सके, तो इस प्रसंग को कम से कम शुद्ध भक्तों द्वारा दी गयी टीका व मूल श्लोक के साथ अवश्य पढ़ना चाहिये।
सम्भव हो तो श्रीशिक्षाष्टकम्, श्रीउपदेशामृत, श्रीमनःशिक्षा, श्रीजैव धर्म, श्रीभजन रहस्य आदि ग्रन्थों में से किसी एक ग्रन्थ का पाठ अवश्य करना चाहिये।
6- *इस महीने में हमें बैंगन, लौकी, राजमा, सोया, उड़द दाल, परमल, सरसों के दाने व उसके तेल इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिये।*
हमें यह अवश्य निश्चित करना चाहिये कि हम इस पवित्र महीने में कौन-कौन से आध्यात्मिक कार्य करेंगे।
तथा
🙏 गुरु-वैष्णव-भगवान से कृपा प्रार्थना करनी चाहिये ताकि वे हमें बल दें, जिससे हम इन आध्यात्मिक नियमों को पूर्ण कर सकें।
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1-- नित्य रात्रि के अन्तिम प्रहर में उठना।
2-- स्नान करना।
3-- ठाकुर जी को जगाकर आरती करना।
4-- तुलसी महारानी को जल से सिंचित करके तुलसी वन्दना करना। (नमो नमः तुलसी कृष्ण प्रेयसी ::)
5-- प्रभु के पवित्र नाम का कीर्तन करना।
*हरे कृष्ण महामंत्र का जप करना*
संख्या बढ़ाकर जप करना अर्थात् अन्य मास में जितनी माला करते थे उससे बढ़ाकर या दोगुनी करना। 1 करते थे तो 2 करना, 4 करते थे तो 8 करना। 16 करते थे तो 32 करना।) *जप तुलसी की माला पर ही करना।*
6-- तुलसी, मालती, कमल व सुगंधित पुष्पों से श्री दामोदर की पूजा करना।
7-- प्रतिदिन भगवान् की कथा का श्रवण करना, भगवद्गीता का पाठ अर्थ सहित कुछ इस प्रकार करना कि कार्तिक मास में पूर्ण हो जाये।
8-- प्रतिदिन दिन संध्या के समय श्रीठाकुर जी और श्रीमती राधा रानी के समक्ष देसी घी का दीपक जलाकर अर्चना करना।
*दीपक को ॐ के आकार में 16 बार घुमाना है। 4 बार श्रीठाकुर जी के श्रीचरणों को देखते हुए, 2 बार नाभि को देखते हुए, 3 बार उनके मुख-मंडल को निहारते हुए व 7 बार उनके सिर से लेकर पाँव तक निहारते हुए ॐ के आकार में घुमाना है।*
*इसी प्रकार 16 बार श्रीमती राधारानी जी को,*
*16 बार श्रीबलराम दाऊ जी को,*
*16 बार श्रीजगन्नाथ जी,* *श्रीबलदेव जी व श्रीसुभद्रा महारानी जी को,*
*16 बार श्रीमती यशौदा माता जी को,*
*7 बार श्रीतुलसी महारानी जी को व*
*7 बार श्रील प्रभुपाद जी को दीपक घुमाते हुए दिखाना है।*
9-- अन्य मास में जो भोग निवेदन करते हैं उसके अलावा विशेष भोग प्रभु को लगाना। जो कभी प्रभु को भोग नहीं लगाते, उनसे भी निवेदन है कि वे भी इस मास में निवेदन शुरु करें।
10- एकभुक्त रहना अर्थात् मात्र एक बार भोजन करना। मौन रहकर भोजन करना।
11- दीप दान का विशेष महत्व है। विष्णु के निकट, देवालय में, तुलसी महारानी के समक्ष व आकाश-दीप प्रज्वलित करना।
🙇🏻 *श्री धाम बरसाना—श्री राधे राधे।* 🙇🏻
🙇🏻 *श्रीराधा-दामोदर भगवान की जय* 🙇🏻
🙇🏻 *कार्तिक व्रत की जय* 🙇🏻

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