Saturday, July 9, 2016


मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख ।
तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना ।
मेरे लिए खर्च करके तो देख ।
कुबेर के भंडार न खोल दूँ तो कहना ।
मेरे लिए कडवे वचन सुनकर तो देख।
कृपा न बरसे तो कहना ।
मेरी तरफ आ के तो देख ।
तेरा ध्यान न रखूं तो कहना ।
मेरी बातें लोगो से करके तो देख ।
तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना..
!! जय श्री कृष्णा राधे - राधे !!

मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख ।

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भगवान श्रीकृष्ण द्वारा 5000 सालों पहले की गई भविष्यवाणी जो आज सच हो रही है
कलियुग में, अकेला धन एक आदमी के अच्छे जन्म, उचित व्यवहार, और अच्छे गुणों की निशानी माना जाएगा।और कानून और न्याय केवल एक शक्ति के आधार पर लागू किया जाएगा।
पुरुष और महिला सिर्फ आकर्षण मात्र के कारण एक साथ रहते हैं l एक आदमी सिर्फ अपना एक धागा पहन कर ब्राह्मण के रूप में जाना जाएगा।
पृथ्वी पर बस भ्रष्ट लोगों की आबादी बढ़ेगी और जो लोग खुद को मजबूत दिखायेगे उन्हें राजनीति की ताकत मिलेगी l
मनुष्य कलियुग में अकाल से परेशान रहेगे, लोगों को खाने के पत्ते, जड़, मांस , जंगली शहद , फल, फूल, और बीज का सहारा होगा। सूखे से मारा मनुष्य पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगा।
कलियुग में मनुष्य के लिए जीवन की अधिकतम अवधि 50 वर्ष तक होगी l कलियुग में मनुष्य अपने बुजुर्ग माता पिता की सेवा नहीं करेगा l
मनुष्य को ठंड, हवा, गर्मी, बारिश और बर्फ से बहुत नुकसान भुगतना होगा। लोग अपने झगड़े, भूख, प्यास , बीमारी और गंभीर चिंता से परेशान हो जाएगे
!! जय श्री कृष्णा राधे - राधे !!

भविष्यवाणी जो आज सच हो रही है

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कुछ कडवे सच प्रभु सुन पाओ तो सुनाऊ?
यमुना के मीठे पानी से जिंदगी शुरू की और समुन्द्र के खारे पानी तक पहुच गए ? एक ऊँगली पर चलने वाले सुदर्शन चक्रपर भरोसा कर लिया और
दसों उँगलियों पर चलने वाळी बांसुरी को भूल गए ?
कान्हा जब तुम प्रेम से जुड़े थे तो जो ऊँगली गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को विनाश से बचाती थी प्रेम से अलग होने पर वही ऊँगली
क्या क्या रंग दिखाने लगी ?
सुदर्शन चक्र उठाकर विनाश के काम आने लगी
कान्हा और द्वारकाधीश में क्या फर्क होता है बताऊँ ?
कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर जाते सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता
युद्ध में और प्रेम में यही तो फर्क होता है युद्ध में आप मिटाकर जीतते हैं
और प्रेम में आप मिटकर जीतते हैं
कान्हा प्रेम में डूबा हुआ आदमी
दुखी तो रह सकता है
पर किसी को दुःख नहीं देता
आप तो कई कलाओं के स्वामी हो स्वप्न दूर द्रष्टा हो, गीता जैसे ग्रन्थ के दाता हो पर आपने क्या निर्णय किया
अपनी पूरी सेना कौरवों को सौंप दी?
और अपने आपको पांडवों के साथ कर लिया ?
सेना तो आपकी प्रजा थी राजा तो पालाक होता है उसका रक्षक होता है आप जैसा महा ज्ञानी उस रथ को चला रहा था जिस पर बैठा अर्जुन आपकी प्रजा को ही मार रहा था आपनी प्रजा को मरते देख आपमें करूणा नहीं जगी ?
क्यूंकि आप प्रेम से शून्य हो चुके थे
आज भी धरती पर जाकर देखो
अपनी द्वारकाधीश वाळी छवि को
ढूंढते रह जाओगे
हर घर हर मंदिर में
राधा रानी के साथ ही खड़े नजर आओगे
" राधे राधे"

कुछ कडवे सच प्रभु सुन पाओ तो सुनाऊ?

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जिस काम में , जिस नाम में ,जिस धाम में रहो ,
जिस रंग में , जिस ढंग में , जिस संग में रहो
जिस देह में , जिस गेह में , जिस नेह में रहो
जिस राग में , अनुराग में , बैराग में रहो
जिस मान में , सम्मान में , अपमान में रहो
संसार में , परिवार में , घरवार में रहो
जिस हाल में जिस चाल में , जिस डाल में रहो
जिस देश में , परदेश में , स्वदेश में रहो
राधा रमण , राधा रमण , राधा रमण में रहो
॥ जय श्री राधे कृष्णा ॥

राधा रमण , राधा रमण , राधा रमण में रहो

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जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे .
दुखियों के दुख दूर करे जय जय जय कृष्ण हरे ..
जब चारों तरफ़ अंधियारा हो आशा का दूर किनारा हो .
जब कोई ना खेवन हारा हो तब तू ही बेड़ा पार करे .
तू ही बेड़ा पार करे जय जय जय कृष्ण हरे ..
तू चाहे तो सब कुछ कर दे विष को भी अमृत कर दे .
पूरण कर दे उसकी आशा जो भी तेरा ध्यान धरे .
जो भी तेरा ध्यान धरे जय जय जय कृष्ण हरे ..

जय कृष्ण हरे श्री कृष्ण हरे

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मेरे कान्हा जी बड़े नटखट हैं, वे एक बार हमें पकड़ लें तो छोड़ते नहीं हैं चाहे हम कितना भी प्रयत्न कर लें ।
आपको भी कान्हा जी से प्रेम हो जाएगा, एक बार सच्चे मन से उन्हें अपना मान कर तो देखिए ।
आपके बिगड़े काम बनें या ना बनें, परंतु आपका इस जीवन के पश्चात् उद्धार होना निःसंदेह निश्चित है ।
मेरा कान्हा बहुत ही शरारती है, ऊँची ऊँची सीढ़ियों पर चढ़ जाता है और खेल खेल में हमें बुलाता है । एक बार उस सीढ़ी पर पैर रख दिया, फिर कभी आप डगमगाएंगे नहीं ।
पीछे पीछे राधारानी जी, लाडली जी, आ कर हमें और चढ़ने को प्रोत्साहित करती रहती हैं ।
ऊपर सीढ़ियां चढ़ते जाओ और राधे कान्हा से प्रेम बढ़ाते रहो ।
हरे कृष्ण

नटखट कान्हा

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