विस्फोटक भयम प्राप्तो रक्ष रक्ष महाबल १
यत्र त्वम् तिष्टते देव, लिखितोअक्षर पंक्तिभी :
रोगास्तत्र पर्णश्यान्ती , वात पित कफोढ्भावा-२
तत्र राज भयं नास्ति, यान्ति कर्ने जपक्ष्यम ,
शाकिनी भूत बेताल, राकक्षासा च प्रभवतिन -३
न अकाले मरणम तस्य न सर्पेंन द्स्यन्ते,
अग्निस्चौर भयम नास्ति , घंटाकर्णओ नमोस्तुते -४
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं घंटाकर्णये ठ: ठ : ठ: स्वाहा
जय श्री घंटाकर्ण
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