दैनिक प्रार्थना
दैनिक प्रार्थना |
हे अशरण -शरण! तुम्हारी कृपा के बिना तुम्हें कोई पा भी नहीं सकता। ऐसी स्थिति में, हे अकारण करूण, पतितपावन श्रीकृष्ण! तुम अपनी अहैतुकी कृपा से ही हमको अपना लो।
हे करूणासागर! हम भुक्ति -मुक्ति आदि कुछ नहीं माँगते, हमें तो केवल तुम्हारे निष्काम प्रेम की ही एकमात्र चाह है।
हे नाथ! अपने विरद की ओर देखकर इस अधम को निराश न करो।
हे जीवनधन! अब बहुत हो चुका, अब तो तुम्हारे प्रेम के बिना यह जीवन मृत्यु से भी अधिक भयानक है। अतएव
प्रेमभिक्षां देहि, प्रेमभिक्षां देहि, प्रेम भिक्षां देहि।
साकेत बिहारी श्रीराघवेन्दर सरकार की जय।
वृन्दावन विहारी श्री यादवेनदर सरकार की जय।
श्रीमद् सदगुरू सरकार की जय।
जय जय श्री राधे
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